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राजा, रानी, रजवाड़ा और आंवले की खेती से जुड़ी हैं प्रतापगढ़ की पहचान

सई नदी के तट पर और बेल्हा देवी के दरवाजे पर बसा है प्रतापगढ़ शहर

राजा, रानी, रजवाड़ा और आंवले की खेती से जुड़ी हैं प्रतापगढ़ की पहचान
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अमेठी/स्वामीनाथ शुक्ल। राजा, रानी, रजवाड़ा और आंवले की खेती से प्रतापगढ़ की पहचान जुड़ी हैं। सई नदी के तट पर और बेल्हा देवी के दरवाजे पर प्रतापगढ़ बसा है। आंवले के शहर में 17 बार लोकसभा चुनाव हो चुके हैं। इसमें 10 बार कांग्रेस और दो बार भाजपा को जीत मिल चुकी है। कुर्मी और मुस्लिम बाहुल्य सीट पर राजपूतों और राजघरानों का दबदबा है। जिससे सबसे ज्यादा राजपूत समाज के सांसद बने है। कांग्रेस इस सीट पर 10 बार जीत दर्ज की है। जबकि भाजपा को सिर्फ 2 बार जीत मिली है। कालाकांकर राजघराने के राजा दिनेश सिंह प्रतापगढ़ लोकसभा सीट से 4 बार सांसद चुने गए थे। इस लोकसभा सीट पर एससी/एसटी, मुस्लिम, कुर्मी, ब्राह्मण और राजपूत वोटर्स की बहुलता है।

भाजपा से मौजूदा सांसद संगमलाल गुप्ता और सपा कांग्रेस गठबंधन से सपा के डा एसपी सिंह पटेल उम्मीदवार बनाए गए हैं। बाकी दलों से उम्मीदवारों के नाम का ऐलान नहीं हुआ है। संगमलाल गुप्ता 2019 के चुनाव में बसपा के अशोक त्रिपाठी को हराकर भाजपा के सांसद बने थे। संगमलाल गुप्ता को 4,36,291 वोट और अशोक त्रिपाठी को 3,18,539 वोट मिले थे। गुप्ता 1,17,752 वोटों से चुनाव जीते थे। कांग्रेस उम्मीदवार राजुकमारी रत्ना सिंह 77096 वोट पाकर तीसरे स्थान पर थी। इस सीट पर अब तक 17 बार चुनाव हो चुके हैं। कांग्रेस 10 बार, भाजपा 2 बार बाकी जनसंघ, जनता पार्टी, अपना दल,जनता दल और सपा को एक एक बार जीत मिल चुकी है। बसपा का अबतक खाता बंद हैं।

इस सीट पर साल 1952 में पहली बार वोट पड़े थे। कांग्रेस के मुनीश्वर दत्त उपाध्याय 1952 और 1957 के दोनों चुनावों में सांसद चुने गए थे। साल 1962 के तीसरे चुनाव में जनसंघ के अजीत प्रताप सिंह सासंद बने थे। कालाकांकर राजघराने के राजा दिनेश सिंह 1967 और 1971 में सांसद चुने गए थे। इंदिरा गांधी के नशबंदी की आंधी में कांग्रेस का सफाया हो गया था। जिससे 1977 में जनता पार्टी के रुपनाथ सिंह यादव सांसद बने थे। 1980 में कांग्रेस उम्मीदवार अजीत प्रताप सिंह जीते थे। 1984 और 1989 में कांग्रेस के दिनेश सिंह तीसरी और चौथी बार सांसद बने थे। 1991 के चुनाव में जनता दल के अभय प्रताप सिंह और 1996 में राजा दिनेश सिंह की बेटी राजकुमारी रत्ना सिंह कांग्रेस की सांसद चुनी गई थी। 1998 में भाजपा के राम विलास वेदांती सांसद चुने गए थे।1999 में राजकुमारी रत्ना सिंह दूसरी बार सांसद बनी थी। 2004 में सपा के कुंवर अक्षय प्रताप सिंह सांसद चुने गए थे। लेकिन 2009 में राजकुमारी रत्ना सिंह तीसरी बार कांग्रेस की सांसद बन गई थी। साल 2014 में अपना दल के हरिवंश सिंह और 2019 में भाजपा के संगम लाल गुप्ता सांसद चुने गए। 5 विधानसभा सीटों को जोड़कर प्रतापगढ़ लोकसभा सीट बनी है। इसमें रामपुर खास, विश्वनाथगंज, प्रतापगढ़, पट्टी और रानीगंज शामिल हैं। रामपुर खास से कांग्रेस की आराधना मिश्रा विधायक है। जबकि विश्वनाथगंज से अपना दल के जीत लाल पटेल, प्रतापगढ़ से राजेंद्र मौर्य और पट्टी से समाजवादी पार्टी के राम सिंह विधायक हैं। जबकि रानीगंज से समाजवादी पार्टी के राकेश कुमार वर्मा विधायक चुने गए हैं।

प्रतापगढ़ लोकसभा सीट की कुल आबादी करीब 23 लाख है। इसमें 94.18 फीसदी ग्रामीण और 5.82 फीसदी शहरी आबादी शामिल है।19.9 फीसदी अनुसूचित जाति और 14 फीसदी मुस्लिम हैं। एक अनुमान के मुताबिक इस सीट पर 11 फीसदी कुर्मी वोटर हैं। जबकि 16 फीसदी ब्राह्मण और 8 फीसदी राजपूत वोटर्स हैं। 10 फीसदी यादव मतदाता भी हैं। इस सीट पर भाजपा उम्मीदवार संगमलाल गुप्ता का विरोध किसी से छिपा नहीं है। सपा उम्मीदवार डॉ एसपी सिंह पटेल लखनऊ से चुनाव लडने आए हैं। प्रतापगढ़ से कई दफा विधायक और योगी आदित्यनाथ सरकार के पूर्व कैबिनेट मंत्री राजेंद्र प्रताप सिंह उर्फ मोती सिंह ने कहा कि मोदी और योगी के नाम पर वोट पड़ेंगे। जिससे संगमलाल गुप्ता मोदी लहर में सांसद बन जाएंगे। इनके समर्थन में पूरी भाजपा जुटी है।

Updated : 24 April 2024 9:04 AM GMT
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